MUKESH HISSARIYA,PATNA

Thursday, December 16, 2010

दिखाया साहस बोली- पापा, मेरी किताबें दे दो !

शैलेन्द्र शर्मा, पटना : पापा, मेरी किताब दे दो, हो सके तो साइकिल भी लौटा दो। यह मार्मिक पुकार है कक्षा 9 की छात्रा की। सपने टूटते देख वह बाबा के पास चली आयी। दादा-दादी भी हर खर्च उठाने को तैयार हैं, बस सरकार से कुछ मदद की दरकार है। बेटी काजल मासूमियत से एक सवाल दागती है- जब सारा खर्च सरकार उठा रही है, तो पापा को क्या परेशानी है? पिता अपनी आर्थिक तंगी का रोना रोता है। पूछता है, केवल ड्रेस, कापी-किताब और साइकिल से ही सब कुछ होता है? मेरे चार बच्चे हैं, मैं क्या करूं? यह किसी कहानी का प्लाट या सीन नहीं, बल्कि हकीकत है 14 साल की काजल की। वह आसमां नापना चाहती है, सपने पूरे करना चाहती है, अरमानों की दुनिया पर बेआवाज उड़ना चाहती है, पर आड़े आ रही है गरीबी। काजल आठवीं पास है और नाला रोड के बापू स्मारक महिला विद्यालय में कक्षा 9 की छात्रा है। वह डाक्टर बनना चाहती है, तभी तो राजधानी पुलिस के महिला सेल पहुंच गयी और दर्ज करा दी न पढ़ने देने की शिकायत। सीनियर एसपी बच्चू सिंह मीणा ने सेल को तुरंत कार्रवाई करने का निर्देश दिया। सेल की ओर से पिता हीरालाल को नोटिस दिया गया है। लोहानीपुर सरस्वती लेन में रहने वाले हीरालाल कार चालक हैं। उनके चार बच्चे काजल, अभिषेक, खुशी और तूलिका हैं। बड़ी बेटी काजल का कहना है कि उसके पिता उसे नानी के घर रखना चाहते हैं और शादी-ब्याह की बात करते हैं। चार माह से उसका स्कूल जाना बंद है। कुछ दिन पहले वह नानी के घर से पटना आयी तो एक सहेली के साथ जाकर शिकायत दर्ज करा दी। बाप का घर छोड़ गुलाब मार्केट ठाकुरबाड़ी रोड में रहने वाले अपने बाबा मोतीलाल के घर रहने वाली काजल ने बताया कि पापा मेरी कापी-किताब भी नहीं दे रहे हैं। सरकार से मिली साइकिल भी रख ली है।

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