MUKESH HISSARIYA,PATNA

Monday, September 6, 2010

बदलाव खुद से

Pratik Maheshwari सच लिखतें हैं ;
साहिल और राहुल, अन्य किसी भी कॉलेज के छात्र की तरह कभी-कभी देश पर चर्चा करने लगते थे..
दोनों बहुत कोसते थे इस देश के प्रणाली को.. इस देश के तंत्र को... कम ही मौके ऐसे आते थे जब वो दोनों देश के बारे में कुछ भी सकारात्मक कहते हों...

एक दिन दोनों एक स्वयंसेवी संस्था में शामिल होने गए और उस दिन उन्होंने झुग्गी-झोंपड़ी में रहने वालों को देखा... कैसे वो गन्दगी और निरक्षरता में ज़िन्दगी निकाल रहे हैं...
आने के बाद दोनों में फिर से देश की बहस छिड़ी और दोनों ने माना कि बातें करने से कुछ बदलेगा नहीं.. कुछ करने से ही कुछ बदलाव ला सकते हैं जो वो चाहते हैं..
अगले हफ्ते फिर से जाने की बात तय हो गयी...

अगले हफ्ते साहिल ने राहुल को कॉल किया और पूछा कि चल रहा है कि नहीं... राहुल ने बहाना बनाते हुए कहा.. "अरे आज नहीं यार.. एक दोस्त से मिलने जाना है.. अगले हफ्ते चलूँगा पक्का.."
साहिल ने बहस किये बिना मंजिल की ओर अपने कदम बढ़ा दिए और लोगों की मदद करने पहुँच गया...

आज साहिल लोगों की मदद करके बहुत खुश है... राहुल आज भी अपने दोस्तों से मिलने में लगा है...
आज साहिल देश को सकारात्मकता की ओर ले जाने की बात कर रहा है... राहुल ने देश को भला-बुरा कहने के लिए एक और राहुल ढूँढ लिया है..
फर्क सामने है..

जिसको बदलाव लाना है वो समय और शक्ति दोनों समर्पित कर रहा है..
और जिसके बातें बनाना है वो समय और शक्ति दोनों बेकार की बातों में व्यर्थ कर रहा है...

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