अमृत वाणी
जय माता दी ,
गुणों से ही मनुष्य बड़ा बनता है, न कि किसी ऊँचे स्थान पर बैठ जाने से I
राजमहल के शिखर पर बैठ जाने पर कौआ गरुड़ नहीं बन जाता !!
आप अपनी अच्छाई का जितना अभिमान करोगे, उतनी ही बुराई पैदा होगी I
इसलिए अच्छे बनो पर अच्छाई का अभिमान मत करो !!
चिंता करने से किसी समस्या का समाधान नहीं होता,
बल्कि समस्या के समाधान के लिए प्रयास की जरुरत होती है !!
वृक्ष आपने सिर पर गरमी झेल लेता है,
किन्तु आपनी छाया से औरो को गरमी से बचाता है !!
भक्त को भगवान की सेवा में आनंद आता है
तथा भगवान को भक्त की सेवा में आनंद आता है !!
दुःख भोगने वाला तो सुखी हो सकता है,
पर दुःख देने वाला कभी सुखी नहीं हो सकता !!
गुणों से ही मनुष्य बड़ा बनता है, न कि किसी ऊँचे स्थान पर बैठ जाने से I
राजमहल के शिखर पर बैठ जाने पर कौआ गरुड़ नहीं बन जाता !!
आप अपनी अच्छाई का जितना अभिमान करोगे, उतनी ही बुराई पैदा होगी I
इसलिए अच्छे बनो पर अच्छाई का अभिमान मत करो !!
चिंता करने से किसी समस्या का समाधान नहीं होता,
बल्कि समस्या के समाधान के लिए प्रयास की जरुरत होती है !!
वृक्ष आपने सिर पर गरमी झेल लेता है,
किन्तु आपनी छाया से औरो को गरमी से बचाता है !!
भक्त को भगवान की सेवा में आनंद आता है
तथा भगवान को भक्त की सेवा में आनंद आता है !!
दुःख भोगने वाला तो सुखी हो सकता है,
पर दुःख देने वाला कभी सुखी नहीं हो सकता !!
1 Comments:
At June 29, 2010 at 1:41 AM , mridula pradhan said...
bahut achcha.
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