MUKESH HISSARIYA,PATNA

Thursday, July 1, 2010

अमृत वाणी

जय माता दी ,
काजल कभी भी अपने श्याम (कालेपन) को नहीं त्यागता,
मोती अपने श्वेत (सफेदपन) को नहीं त्यागता I
इसी प्रकार दुर्जन अपनी कुटिलता (दुष्टता) को
तथा सज्जन अपने प्रेम-भाव को नहीं त्यागता !!

सूर्य उदय होते ही अंधकार नष्ट हो जाता है,
गुरु का ज्ञान हो जाने पर दुरबुद्धी नष्ट हो जाती है
अत्याधिक लोभ होने से सद्बुद्धि चली जाती है
और अभिमान हो जाने पर भक्ति चली जाती है !!

दूध में मक्खन है, फूल में सुगंध है,
सूर्य में ताप है, हवा में ठंडक है,
चन्द्रमा में शीतलता है - पर दिखाई नहीं देता,
अनुभव होता है, वैसे ही परमात्मा कैसे है?
यह जानने की आवश्यकता नहीं, परमात्मा
हैं — इतना मान लेना काफी हैं !!

मनुष्य पैसे के लिए जितना पागल है,
उतना भगवान के लिए नहीं, इसीलिए भटकता है !!

भगवान हमसे ज्यादा जानते हैं,
हमसे ज्यादा समर्थ हैं और हमसे
ज्यादा दयालु हैं, फिर हम चिन्ता क्यों करें !!

जेसे मछली जल के बिना ब्याकुल हो जाती है,
वेसे ही हम यदि भगवान को पाने के लिए
ब्याकुल हो जाय तो भगवान को साकछात होने में देर नहीं लगेगी !!

1 Comments:

  • At July 4, 2010 at 10:52 PM , Blogger Satish Saxena said...

    पहली चार लाइनों में ही आनंद आ गया ...शुभकामनायें आपको !

    PS: remove word verification ..as it serve no purpose but to inconvenience to the reader.

     

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