MUKESH HISSARIYA,PATNA

Sunday, October 18, 2009

मार्मिक एवं संवेदनपूर्ण,

जय माता दी,
आज सुबह हिंदुस्तान दैनिक के पेज ३ के एक समाचार ने झकझोर के रख दिया है.बख्तियारपुर के एक बुजुर्ग दंपत्ति ने बेटे बहूँ के वैवाहर से तंग आकर गंगा के किनारे जहर खाकर जान दे दी .
शाश्‍वत शेखर जी की बातो को आपके साथ शेयर कर रहा हूँ :-

३ साल पहले की बात है| मैं एक मित्र को आनंद विहार बस अड्डे ग्वालियर की बस पर चढाने आया था| मित्र के पास एक भारी बक्सा था, जिसे बस पर चढाने के लिए एक बुजुर्ग सामने आया जो बमुश्किल यह काम कर सका| बस के जाने के बाद मैं उस बुजुर्ग से मिला|
"बाबा, ये काम क्यूँ करते हो? कुछ और काम क्यूँ नही देख लेते, इस उम्र में यह काम ठीक नही है|"

बुजुर्ग से बीस मिनट बात हुई| अपना नाम सिंघासन बताया| सासाराम, बिहार के किसी गाँव का था, लम्बी बीमारी के बाद बीवी चल बसी, बेटे ने फिरोजाबाद फैक्ट्री में नौकरी मिलने के बाद बाप को नही पुछा| गाँव में कुछ रोजगार न था, इसलिए दिल्ली आ गया|

"चाय बना लेते हो बाबा?"
"हँ बाउजी|"
"मेरे पहचान के एक चाय वाले हैं जिन्हें चाय बनाने, देने के लिए एक आदमी की तलाश है| रहने का इन्तजाम भी कर देंगे| जाओगे वहां?"
"काहे ना बाउजी, हमके त बस जिनगी बसर करे के बा|"

उसी शाम मैं सिंघासन को चाय वाले अंकल से मिलाने लाया| अगले दिन से सिंघासन काम पर लग गया|
हमें लगता है की हमें भी इसके लिए कुछ प्रयास करना चाहये.

0 Comments:

Post a Comment

Subscribe to Post Comments [Atom]

<< Home