Wednesday, July 28, 2010
शुद्ध साधना के लिए चार बातों का पालन आवश्यक है :- भूख में कम खाना, लोक प्रतिष्ठा का त्याग, निर्धनता का स्वीकार और ईश्वर की इच्छा में संतोष !!
Friday, July 23, 2010
Thursday, July 22, 2010
सात फेरों के सातों वचन
वर खोजूं, वर खोजूं..
वर खोजूं, वर खोजूं बाबा रे
अब भइलो विहन जोग..
विवाह एक ऐसा संस्कार है, जिसमें भाग लेने मात्र से ही जीवन पवित्र हो जाता है. और यदि अनाथ लोगों का सामूहिक विवाह हो, तब तो कहना ही क्या. हर कोई अपनी हैसियत से इसमें डोनेट करता है. लोक गायिका मालिनी अवस्थी ने ये बातें आई नेक्स्ट के साथ शेयर की. श्रीमती अवस्थी ने कहा कि मैं तो उस ऑर्गनाइजेशन को थैंक्स करती हूं, जिसने ऐसा करने की सोची. रीयल सोशल सर्विस यही है. श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल में आयोजित इस कल्चरल इवेंट में शरीक होने के लिए श्रीमती अवस्थी ने खास तौर से तैयारी की है. इस मौके पर श्रीमती अवस्थी के विवाह गीतों पर लोग झूम उठे.
वर खोजूं, वर खोजूं बाबा रे
अब भइलो विहन जोग..
विवाह एक ऐसा संस्कार है, जिसमें भाग लेने मात्र से ही जीवन पवित्र हो जाता है. और यदि अनाथ लोगों का सामूहिक विवाह हो, तब तो कहना ही क्या. हर कोई अपनी हैसियत से इसमें डोनेट करता है. लोक गायिका मालिनी अवस्थी ने ये बातें आई नेक्स्ट के साथ शेयर की. श्रीमती अवस्थी ने कहा कि मैं तो उस ऑर्गनाइजेशन को थैंक्स करती हूं, जिसने ऐसा करने की सोची. रीयल सोशल सर्विस यही है. श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल में आयोजित इस कल्चरल इवेंट में शरीक होने के लिए श्रीमती अवस्थी ने खास तौर से तैयारी की है. इस मौके पर श्रीमती अवस्थी के विवाह गीतों पर लोग झूम उठे.
Wednesday, July 21, 2010
EK VIVAH AISA BHI 16/07/2010
पटना, नगर संवाददाता : वाकई शुक्रवार का दिन न जाने कितने ही लोगों के लिए यादगार बन गया। अलग-अलग रिक्शों पर 51 दूल्हे लेकिन मकसद बस एक-एक विवाह ऐसा भी को खूबसूरती से अंजाम देकर समाज में मिसाल कायम करना। न कोई मांग न कोई दहेज, न कोई फरमाइश और न कोई लेन-देन। करना था तो केवल विवाह और एक-दूसरे से आजीवन साथ निभाने का वादा। दरअसल मां वैष्णो देवी सेवा समिति के बैनर तले 51 जोडि़यों का आज सामूहिक विवाह कराया जाना था। विवाह स्थल श्रीकृष्ण मेमोरियल हाल चुना गया था। एक तरफ मशहूर गायिका मालिनी अवस्थी के लोकगीत और दूसरी तरफ विभिन्न जोडि़यों का परिणय-सूत्र में बंधते जाना। सुबह पांच बजे से ही महाराणा प्रताप भवन में जमावड़ा लगना शुरू हो गया था, दोपहर मेहंदी की रस्म भी अदा की गयी। दुल्हनों को ब्यूटिशियन्स ने सजाया और इसके बाद उन्हें श्रीकृष्ण मेमोरियल हाल भेज दिया गया। शाम पांच बजे से ही सड़कों का हाल देखने लायक था जब महाराणा प्रताप भवन से 51 दूल्हे गुलाबी कुर्ते और सफेद पाजामे में नागरा जूते पहने निकले। एक तो रिक्शा और उस पर बैंड-बाजे का साथ, मानो आकर्षण का केन्द्र बना रहा। यही नहीं, खुद रिक्शे वाले भी सफेद टी-शर्ट और पीली टोपी में विवाह के जश्न में शामिल हो रहे थे। रास्ते भर यही सिलसिला चला और लोगों के इन दूल्हों को देखने के क्रम में जाम भी लगती रही। विवाह स्थल पहुंचने पर सबसे पहले मंत्रोच्चारण के साथ वरमाला किया गया। सहकारिता मंत्री गिरिराज सिंह की शुभकामनाओं के साथ वरमाला किया गया। साथ ही श्री सिंह के हाथों भोजपुरी अभिनेता कुणाल सिंह, लेखक अमित झा, इवेंट मैनेजमेंट अमित गुप्ता, रंगकर्मी संजय उपाध्याय और ज्ञान-विज्ञान के लिए शरद विवेक सागर को सम्मानित किया गया। सम्पूर्ण विवाह को प्रवेश त्रिपाठी, ज्योतिष आचार्य, काशी विश्र्वनाथ मंदिर, वाराणसी के नेतृत्व में अन्य 51 पंडितों के साथ सम्पन्न कराया गया। मौके पर मालिनी अवस्थी के पारम्परिक गीतों ने मौके को और भी खास बना दिया।
Sunday, July 18, 2010
EK VIVAH AISA BHI 16/07/2010
PATNA ( 16 July) : दिन भर के इंतजार के बाद जब शोभा और संजय एक पल के लिए मिले तो हाथों में हाथ डालकर घुमने लगे. दिल की बात कहते-कहते साइकिल की सवारी भी शुरू कर दी. नए जोड़े के रूप में चमक रहे शोभा और संजय को देखने के लिए लोगों की भीड़ जम गई. फिर आयोजन समिति वालों ने दोनों को मंडप में बिठाया, जहां पूरे रीति-रिवाज से दोनों ने सात फेरे लिए और साथ रहने की कसमें खाई. ऐसा नजारा आज श्री कृष्ण मेमोरियल हॉल का था, जहां अनोखे ढंग से 51 जोड़ों की शादी रचायी गई.
अनोखी शादी अनोखे गवाह
पांच हजार से अधिक लोग इस अनोखी शादी के गवाह बनें. शुक्रवार की सुबह पांच बजे से ही शादी की रस्म शुरू हो गयी थी. मेंहदी लगाने से लेकर सजाने तक के लिए स्पेशलिस्ट्स को बुलाया गया था. दरअसल यह आयोजन मां वैष्णो देवी सेवा समिति की ओर से आयोजित किया गया था. जिसमें सामूहिक शादी के लिए 51 जोड़ों को बुलाया गया था. शादी पूरे रीति-रिवाज के साथ संपन्न हो इसके लिए काशी सहित अन्य जगहों से 51 पंडितों को भी बुलाया गया था.
दिनभर सजते रहे सजना-सजनी
पांच बजे सुबह से ही महाराणा प्रताप भवन में लोगों का आना-जाना शुरू हो गया. साथ ही दूल्हा-दूल्हन के सजने-संवरने का दौर भी. सारे जोड़ों को स्पेशल बैच दिया गया था, जिसे पहनने के बाद उन्हेंसजाने से लेकर शादी के मंडप तक लाने की तैयारियां शुरू हो गई. पहले लड़के फिर लड़कियों को मेंहदी लगाई गई. इसके बाद स्पेशल ब्यूटिशियंस की टीम लड़के और लड़कियों को सजाने में जुट गई. सभी एक ही रंग में रंगे थे. दूल्हनों को पहले ही श्री कृष्ण मेमोरियल हॉल भेज दिया गया. वहीं पांच बजे शाम 51 दूल्हे बारात के साथ निकल पड़े.
रिक्शे पर थे दूल्हे राजा
शायद पहली बार कोई दूल्हा शादी करने के लिए रिक्शे से निकला था. वो भी एक नहीं, दो नहीं बल्कि पूरे 51 दूल्हे राजा. दूल्हे के साथ हजारों की बारात पार्टी भी जब सड़क पर निकली, तो देखने वालों की लंबी लाइन जुट गई. बैंड पार्टी के साथ जब बारात महाराणा प्रताप से लेकर मछुआ टोली, मखनियां कुआं होते हुए अशोक राजपथ से गुजरी तो इस अनोखी बारात को देखने के लिए जो जहां था वहीं ठहर सा गया. और जाम को हटाने के लिए पुलिस बल का भी सहारा लेना पड़ा.
पहले वरमाला फिर सात फेरे
बारात जैसे ही एसकेएम पहुंची तो पहले वरमाला का आयोजन किया गया. फिर सामूहिक वरमाला के बाद सबों को बाहर सजे मंडप में बिठाया गया. जहां पूरे रीति-रिवाज के साथ अग्नि को साक्षी मानकर सात फेरे लिए गए. शादी के बाद सामूहिक भोज का भी आयोजन किया गया था. साथ ही आयोजन समिति की ओर से सभी जोड़ों को साइकिल, बर्तन, बेड व बाकी जरूरी चीजें दी गई. और फिर उन्हें विदा कर दिया गया.
मालिनी संग झूमे पटनाइट्स
सामूहिक विवाह समारोह की शाम को यादगार बनाने के लिए मालिनी अवस्थी के शो का भी आयोजन किया गया. मालिनी अवस्थी के आते ही पटनाइट्स उनके गानों पर झूम उठे. वहीं दूसरी ओर आयोजन समिति की ओर से कुणाल सिंह, अमित झा, अमित गुप्ता, संजय उपाध्याय व शरद विवेक सागर को सम्मानित भी किया गया.
patna@inext.co.in
Saturday, July 17, 2010
EK VIVAH AISA BHI 16/07/2010
Tags:Patna|Hajipur|Gayatree Sharma|Ma Vaishno Devi Sewa Samiti
PATNA: Forty eight girls dressed in red sarees and red chunnis, pearl strings adorning their necks, and make up walked on to the stage, one at a time, to put the "jaimala" onto the bridegrooms' necks, who had been waiting patiently for their brides to arrive. All the 48 brides and 48 bridegrooms, brought together for life by Ma Vaishno Devi Sewa Samiti, had been waiting for this one-in-a-lifetime day, their wedding day, when they would tie the nuptial knot for the last many months, till the time the samiti had made all the elaborate arrangements, including the separate rickshaws for the grooms to arrive at the wedding venue.
Before the `jaimala', the star attraction was the gorgeously dressed brides, who sat in one room. Even though they had arrived the day of the wedding from different parts of Bihar and Jharkhand, a shy glow was visible in their eyes, glad that somebody had thought of them.
Munni Kumari, 24, from Hajipur, Jyoti Kumari, 22, from Ashiana Na-gar, Rupa Bharti, 18, an Intermediate BSc student, all from the underprivi-leged sections of society, were happy that the samiti, a charitable institu-tion, had taken the onerous task of looking for grooms from their same communities and was getting them married. Munni, stricken with polio at an early age, had lost her father, and her chacha and chachi were perform-ing the `kanyadaan'. Two cousins from the infamous Rajapakar village of Vaishali, were getting married in the year 2008, but could not, as their houses burnt. In this `Ek Vivaah Aisa Bhi' the samiti, acting as match-maker, finally found matches for them.
Sanjay Kumar, a groom from Danapur is thrilled that his wife, Shobha Kumari, had completed Class 10 from Khuspupur. He says, "I think my would-be wife can even get a small job somewhere which will go a long way in helping with the family expenditure." But Hira, a migrant labourer in Punjab, is not, too, sure whether his bride, Anjani Kumari, 20, from Godda, Jharkhand, would be interested in working outside the house.
The row of similar looking mandaps were no less crowd-pullers. Ex-quisitely designed in thermocol and woodwork with painted panels, the lighted mandaps had been equipped with all the items used in a wedding __ earthen hathi, matka with burning clay lamp, two peedhas __ and a separate purohit to perform wedding rituals for every couple. The wed-dings have been arranged free of cost by the samiti, barring that each purohit would be given Rs 501. Each mandap, bride and groom had been given a number to ensure that the wedding rituals could be conducted in a smooth manner.
The samiti had organised the stay and food for both the brides and their guardians at the Maharana Pratap Road and the Bihari Sao Lane-based Sahu Samaj. The whole hall, occupied by the guardians of the brides and grooms, and some special guests including actor Kunal Singh graced the occasion by blessing the would-be-couples.
Thursday, July 1, 2010
अमृत वाणी
जय माता दी ,
काजल कभी भी अपने श्याम (कालेपन) को नहीं त्यागता,
मोती अपने श्वेत (सफेदपन) को नहीं त्यागता I
इसी प्रकार दुर्जन अपनी कुटिलता (दुष्टता) को
तथा सज्जन अपने प्रेम-भाव को नहीं त्यागता !!
सूर्य उदय होते ही अंधकार नष्ट हो जाता है,
गुरु का ज्ञान हो जाने पर दुरबुद्धी नष्ट हो जाती है
अत्याधिक लोभ होने से सद्बुद्धि चली जाती है
और अभिमान हो जाने पर भक्ति चली जाती है !!
दूध में मक्खन है, फूल में सुगंध है,
सूर्य में ताप है, हवा में ठंडक है,
चन्द्रमा में शीतलता है - पर दिखाई नहीं देता,
अनुभव होता है, वैसे ही परमात्मा कैसे है?
यह जानने की आवश्यकता नहीं, परमात्मा
हैं — इतना मान लेना काफी हैं !!
मनुष्य पैसे के लिए जितना पागल है,
उतना भगवान के लिए नहीं, इसीलिए भटकता है !!
भगवान हमसे ज्यादा जानते हैं,
हमसे ज्यादा समर्थ हैं और हमसे
ज्यादा दयालु हैं, फिर हम चिन्ता क्यों करें !!
जेसे मछली जल के बिना ब्याकुल हो जाती है,
वेसे ही हम यदि भगवान को पाने के लिए
ब्याकुल हो जाय तो भगवान को साकछात होने में देर नहीं लगेगी !!
काजल कभी भी अपने श्याम (कालेपन) को नहीं त्यागता,
मोती अपने श्वेत (सफेदपन) को नहीं त्यागता I
इसी प्रकार दुर्जन अपनी कुटिलता (दुष्टता) को
तथा सज्जन अपने प्रेम-भाव को नहीं त्यागता !!
सूर्य उदय होते ही अंधकार नष्ट हो जाता है,
गुरु का ज्ञान हो जाने पर दुरबुद्धी नष्ट हो जाती है
अत्याधिक लोभ होने से सद्बुद्धि चली जाती है
और अभिमान हो जाने पर भक्ति चली जाती है !!
दूध में मक्खन है, फूल में सुगंध है,
सूर्य में ताप है, हवा में ठंडक है,
चन्द्रमा में शीतलता है - पर दिखाई नहीं देता,
अनुभव होता है, वैसे ही परमात्मा कैसे है?
यह जानने की आवश्यकता नहीं, परमात्मा
हैं — इतना मान लेना काफी हैं !!
मनुष्य पैसे के लिए जितना पागल है,
उतना भगवान के लिए नहीं, इसीलिए भटकता है !!
भगवान हमसे ज्यादा जानते हैं,
हमसे ज्यादा समर्थ हैं और हमसे
ज्यादा दयालु हैं, फिर हम चिन्ता क्यों करें !!
जेसे मछली जल के बिना ब्याकुल हो जाती है,
वेसे ही हम यदि भगवान को पाने के लिए
ब्याकुल हो जाय तो भगवान को साकछात होने में देर नहीं लगेगी !!